स्वप्नदोष क्या है? – What is Nightfall in Hindi?

स्वप्नदोष

आज वातावरण कुछ ऐसा विषम और दूषित बन गया है कि संतान सुसंस्कारित करने के लक्ष्य की ओर माता-पिता विशेष ध्यान नहीं देते है। ब्रह्मचर्य क्या है उसका मनुष्य-जीवन में क्या महत्व है, उसके क्या लाभ है, किस प्रकार उसका पालन करना चाहिए, यह न तो आज के माता-पिता जानते हैं और न वे अपने बच्चों को ही इसकी उपयोगी शिक्षा दे पाते हैं। पालन-पोषण में स्वास्थ्य के नियमों का तक भी नहीं रखा जाता। बच्चों को जब पढ़ने के लिए विद्यालय में भेजा जाता है तो वहां भांति-भांति के बालकों से उनका मेल-मिलाप होता है। किसी का वातावरण किसी प्रकार का तो किसी का और अन्य प्रकार होता है। इस प्रकार वहां भी बालक को अच्छे संस्कार नहीं मिल पाते।

ऐसी परिस्थिति में ब्रह्मचर्य पालन का ऐसा कौन सा नियम है जिसे आज भारतीय बालक गिन-गिनकर न तोड़ता हो? और इस प्रकार जानबूझ कर न केवल स्वप्नावस्था अपितु जाग्रतावस्था में भी हमारे बालकों का वीर्यपात होता रहता है । निद्रावस्था में आए स्वप्न में कामेच्छा-तृप्ति के रूप में और कभी-कभी बिना स्वप्न के भी वीर्यपात हो जाता है । वास्तव में यह एक भयंकर रोग है । कोई सौभाग्यशाली व्यक्ति ही इस रोग से बच पाता होगा, अन्यथा आज सारा संसार इससे दुखी है, त्रस्त है और भयभीत है । इसे अपने गलत कार्यों का कुपरिणाम मानना चाहिए। यही वजह है कि यह बिना इच्छा के भी हो जाया करता है।

स्वप्नदोष क्या होता है? – Swapandosh kya hota hai

स्वप्नदोष का वास्तविक परिचय यही है कि दिन अथवा रात्रि के समय जब व्यक्ति सोया हुआ होता है, उसके सपने में कोई युवती अथवा महिला दिखाई देती है। उस काल्पनिक नारी के साथ मनुष्य स्वप्न में मनोरंजन अथवा सम्भोग करने लगता है। उस अवस्था में उसका वीर्य स्खलित हो जाता है, यही इस रोग का परिचय है, कामुक दृश्यों, सिनेमा देखने या अश्लील किताबों को पढ़ने से कामुक भावनाएं मन में बैठ जाती हैं। जो स्वप्न में आती हैं। इसी कारण वीर्य स्खलित हो जाता हैं।

अर्द्ध-निद्रा की अवस्था में मनुष्य को कई प्रकार के स्वप्न दिखाई देते है। इसका मुख्य केन्द्रबिंदु मनुष्य के संस्कार और विचार होते हैं । दिनभर जिस प्रकार के वातावरण में मनुष्य रहता है, वे ही विचार स्वप्न में उजागर होते हैं! आज का युवक यह मानता है कि उसके मात-पिता ने उसे जन्म देने के लिए कोई विशेष प्रयत्न नहीं किया है अपितु उसका इस संसार में आना तो उनकी कामेच्छा-तृप्ति का फेल है । वास्तविकता से यह बात दूर भी नहीं है। क्योंकि सामान्यतया आज का युवा दंपत्ति कामतृप्ति को ही विवाह लक्ष्य मानता है । इसलिए अपनी स्त्री और अवसर मिलने पर अन्य स्त्रियों से सम्भोग करता है। ऐसे ही विचार उस व्यभिचार से उत्पन्न होने वाली संतान के भी बन जाते है ।

स्वप्नदोष रोग जिसे एक बार हो जाता है फिर उसका इससे शीघ्र और आसानी से छुटकारा पाना कठिन है। अनेक ऐसे भी व्यक्ति होते हैं जो सचमुच इससे दूर रहना चाहते हैं किन्तु रह नहीं पाते। इसका कारण उनका खान-पान, रहन-सहन और सामाजिक वातावरण है । अतः यह आवश्यक है कि जिन कारणों से यह रोग उत्पन्न हुआ है, उनको यदि दूर कर दिया जाए तो शनैः शनैः यह स्वयं ही दूर हो जाएगा। इस प्रकार यदि देखा जाए तो यह रोग उतना भयंकर भी नहीं जितना इसके समझा जाता है ।